मॅगेल टायला शेट्टाले योजना महाराष्ट्र सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य राज्य के किसानों को सिंचाई के लिए स्थायी समाधान प्रदान करना है। इस योजना के तहत, किसानों को उनकी खेती की जमीन पर तालाब बनाने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। यह योजना महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में जल संरक्षण और खेती के लिए जल उपलब्धता में सुधार लाने के लिए डिजाइन की गई है।
विशेषता | विवरण |
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योजना का नाम | मागेल त्याला शेततळे योजना |
घोषणा की गई | 2022-23 |
राज्य | महाराष्ट्र |
किसने शुरू की | कृषि, पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य विभाग, महाराष्ट्र सरकार |
लाभार्थी | महाराष्ट्र के किसान |
उद्देश्य | किसानों को उनकी खेती की जमीन पर तालाब बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना, ताकि उन्हें पूरे साल पानी की एक विश्वसनीय स्रोत मिल सके |
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया | ऑनलाइन (Maha-DBT पोर्टल के माध्यम से) और ऑफलाइन |
आधिकारिक वेबसाइट | https://mahaegs.maharashtra.gov.in/ |
संपर्क करें | टोल-फ्री नंबर- 1800-120-8040 |
Table of Contents
मॅगेल टायला शेट्टाले योजना बारे में
मॅगेल टायला शेट्टाले योजना के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- सिंचाई सुविधा में सुधार: महाराष्ट्र के किसानों को उनके खेतों में सिंचाई के लिए स्थायी समाधान प्रदान करना।
- जल संरक्षण को बढ़ावा: खेती की जमीन पर तालाब निर्माण के जरिए वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण को बढ़ावा देना।
- फसल उत्पादन में वृद्धि: निरंतर जल उपलब्धता से फसल उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करना।
- किसानों की आय में वृद्धि: सिंचाई सुविधाओं में सुधार से किसानों की आय में वृद्धि करना।
- पर्यावरण संरक्षण: जल संरक्षण के माध्यम से पर्यावरण के संरक्षण में योगदान देना।
इस योजना के माध्यम से, महाराष्ट्र सरकार राज्य के किसानों को अधिक स्वावलंबी और जल संरक्षण के प्रति जागरूक बनाने का लक्ष्य रखती है। यह न केवल खेती के लिए, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
रजिस्ट्रेशन पक्रिया
मॅगेल टायला शेट्टाले योजना के तहत रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बहुत ही सरल और सुविधाजनक है। आवेदन की प्रक्रिया निम्नलिखित है:
- ऑनलाइन आवेदन: आवेदक Maha-DBT पोर्टल पर जाकर मॅगेल टायला शेट्टाले योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए उन्हें अपनी पर्सनल और खेती से संबंधित जानकारी भरनी होगी।

- ऑफलाइन आवेदन: जो किसान ऑनलाइन आवेदन नहीं कर सकते, वे अपने निकटतम कृषि विभाग के कार्यालय में जाकर आवेदन कर सकते हैं। वहाँ से उन्हें आवेदन फॉर्म मिल जाएगा, जिसे भरकर और आवश्यक दस्तावेजों के साथ जमा करना होगा।
आवेदन करते समय किसानों को अपने आधार कार्ड, जमीन के कागजात, बैंक खाता विवरण और पहचान पत्र जैसे दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे।
पात्रता मानदंड
मॅगेल टायला शेट्टाले योजना के तहत लाभ पाने के लिए कुछ विशेष पात्रता मानदंड निर्धारित किए गए हैं। ये मानदंड इस प्रकार हैं:
- आवेदक को महाराष्ट्र राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए।
- आवेदक किसान होना चाहिए, जिसके पास अपनी खेती की जमीन हो।
- खेती की जमीन पर तालाब निर्माण के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए।
- आवेदक ने पहले से इसी तरह की किसी अन्य सरकारी योजना का लाभ नहीं उठाया हो।
इन मानदंडों को पूरा करने वाले किसान “Magel Tyala Shettale Yojana” के तहत आवेदन कर सकते हैं और सिंचाई सुविधा के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
योजना के फायदे
मॅगेल टायला शेट्टाले योजना के तहत किसानों को निम्नलिखित लाभ प्रदान किए जाते हैं:
- वित्तीय सहायता: खेती की जमीन पर तालाब निर्माण के लिए किसानों को वित्तीय सहायता दी जाती है, जिससे उन्हें पानी की उपलब्धता में सुधार होता है।
- फसल उत्पादन में वृद्धि: स्थायी सिंचाई सुविधा के माध्यम से फसल उत्पादन में सुधार होता है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है।
- जल संरक्षण: तालाब निर्माण से वर्षा जल का संचयन होता है, जो जल संरक्षण में सहायक होता है।
- पर्यावरण संरक्षण: जल स्तर में सुधार और जल संरक्षण के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में योगदान देता है।
- आत्मनिर्भरता: इस योजना के माध्यम से किसान अपनी सिंचाई की जरूरतों के लिए अधिक आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
इस योजना के माध्यम से महाराष्ट्र सरकार किसानों को सशक्त बनाने और राज्य में कृषि विकास को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है।
आवश्यक दस्तावेज़
मॅगेल टायला शेट्टाले योजना के तहत आवेदन करते समय किसानों को कुछ विशेष दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- आधार कार्ड: आवेदक की पहचान और पते का प्रमाण।
- खेती की जमीन के कागजात: जमीन के मालिकाना हक को साबित करने के लिए।
- बैंक खाता विवरण: सब्सिडी राशि सीधे बैंक खाते में भेजने के लिए।
- पासपोर्ट आकार के फोटो: आवेदक की पहचान के लिए।
- भूमि मापन प्रमाणपत्र: खेती की जमीन के आकार और सीमा का प्रमाण।
इन दस्तावेज़ों के माध्यम से, आवेदक की पात्रता की जांच की जाती है और योजना के तहत सहायता प्रदान की जाती है।